अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 139 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गई
2008 के बाद सबसे बड़ा उछाल
कच्चे तेल की कीमतों में 2008 के सबसे बड़ा उछाल है। जिसके चलते वैश्विक बाजारों में जोरदार गिरावट देखने को मिल रही है
कच्चे तेल की कीमत बढ़ने के कारण
अमरीका और यूरोप के देशो ने रूस से कच्चे तेल को खरीद नहीं करने का मन बना लिया है। इसके चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की डिमांड के मुकाबले सप्लाई काफी कम रह जाएगी जिसके कारण कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आ गया है
सुबह 10 बजे तक, भारत में कच्चे तेल की कीमतें 12 प्रतिशत बढ़कर 125 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो गईं
अमेरिका पर प्रभाव
रविवार को गैसोलीन के एक गैलन की औसत कीमत $4.009 हो गई, जो जुलाई 2008 के अंत के बाद सबसे अधिक है
तेल सप्लाई पर प्रतिबंध की तैयारी
अमरीका और यूरोपीय देश रूस पर पूरी तरह से युद्ध को बन्द करने के लिए दबाब बना रहे है इसी के चलते अमरीका के बिदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अपने सहयोगियों से बात की
भारत कच्चे तेल का सबसे बड़ा आयातक
भारत पुरे विश्व में कच्चे तेल का सबसे बड़ा आयतक देश है। भारत 85 फीसदी तेल बहार के देशो से देशो से खरीदता है।